जब राष्ट्रपति, सीजेआई और सरकार के कानून मंत्री चिंतित हैं तो फिर कार्यवाही क्यों नहीं होती? रेप-मर्डर के आरोपियों को एनकाउंटर करने की जरूरत क्यों पड़ी?

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जब राष्ट्रपति, सीजेआई और सरकार के कानून मंत्री चिंतित हैं तो फिर कार्यवाही क्यों नहीं होती? रेप-मर्डर के आरोपियों को एनकाउंटर करने की जरूरत क्यों पड़ी?
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8 दिसंबर को भी दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति पालीवाल लगातार पांचवें दिन भी आमरण अनशन पर बैंठी रही। रेप-मर्डर के आरोपियों को जल्द फांसी देने के लिए देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। हैदराबाद में जिस तरह 4 आरोपियों का एनकाउंटर हुआ, उससे देश की न्यायिक व्यवस्था पर सवाल खड़े हुए हैं। इस बीच 7 दिसंबर को राजस्थान के जोधपुर में हाईकोर्ट भवन के उद्घाअन के मौके पर सर्वोच्च संस्थानों के प्रमुखों ने माना कि अपराधियों को जल्द सजा मिलनी चाहिए। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि आम आदमी का भरोसा न्याय व्यवस्था में कायम रहना चाहिए। भारत के प्रधान न्यायाधीश एस.ए. बोबडे ने कहा कि क्रिमिनल मामलों को समयबद्व सीमा में निस्तारण की दिशा में सोचना पड़ेगा। देश के कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि महिलाओं को जल्द न्याय नहीं मिलना चिंताजनक है। जल्द न्याय के लिए नया मैकेनिज्म बनाने की जरूरत है। सवाल उठता है कि जब सर्वोच्च संस्थाओं के मुखिया चिंतित हैं तो फिर कार्यवाही क्यों नहीं करते। क्या राष्ट्रपति से लेकर सीजेआई और कानून मंत्री सिर्फ राय प्रकअ करने के लिए है? ऐसी रायों की वजह से हैदराबाद में रेप-मर्डर के चारों आरोपियों का एनकाउंटर हुआ है। यूपी के उन्नाव में बलात्कार की शिकार युवती को जिस प्रकार सरेआम जिंदा जलाया गया, उससे तो हमारे ज्यूडिशियल सिस्टम की पोल ही खुल गई है। कोर्ट से जमानत मिलने के बाद जब आरोपी बाहर आए तो पीडि़ता को ही जिंदा जला दिया। असल में हमारे देश की न्यायिक व्यवस्था ही ऐसी है कि रेप-मर्डर के आरोपियों को भी बच निकलने का अवसर मिल जाता है। अब जब लोकतंत्र के तीनों प्रमुख अंग न्यायिक व्यवस्था में सुधार चाहते हैं तो फिर तत्काल कार्यवाही भी होनी चाहिए। संसद में ऐसा कानून बनाया जाए, जिसमें रेप और मड्रर के आरोपियों को अधिकतम छह माह में सजा सुना दी जाए। यह निर्णय लोअर कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक होना चाहिए। यदि क्रिमिनल मामलों में ऐसा निर्णय नहीं हुआ तो हैदराबाद की तरह एनकाउंटर होते रहेंगे, क्योंकि देश की जनता अब हैदराबाद के एनकाउंटर को ही सही न्याय मान रही है। लोकतंत्र के तीनों अंगों को देश के अवाम का मूड भी भांपना चाहिए। खासकर यदि महिलाओं खासकर बच्चियों के साथ बलात्कार और हत्या जैसी वारदातें होती हैं तो लोकतांत्रिक व्यवस्था पर भी लानत है। अब समय आ गया है कि जब रेप-मर्डर के आरोपियों के खिलाफ जल्द और सख्त कार्यवाही की जाए।
एस.पी.मित्तल) (08-12-19)
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