कांग्रेस मुख्यालय की केंटीन में मसाला डोसा खाया और फिर राजघाट पर धरना दिया।
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22 दिसम्बर को जयपुर में संशोधित नागरिकता कानून के विरोध में शांति मार्च निकालने के बाद राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत 23 दिसम्बर को विजेता के रूप में दिल्ली पहुंचे गए। कांग्रेस की ओर से दोपहर तीन बजे दिल्ली में राजघाट पर नागरिकता कानून के विरोध में ही धरना रखा गया। लेकिन इस धरने में भाग लेने के लिए सीएम गहलोत प्रात: 11 बजे ही दिल्ली पहुंच गए। हालांकि 23 दिसम्बर को सीएम गहलोत को कांग्रेस मुख्यालय पर कोई काम नहीं था, लेकिन माना जाता है कि गहलोत को जब भी कोई सफलता मिलती है, तब वे कांग्रेस मुख्यालय की केंटीन में जरूर जाते हैं। गहलोत ने 22 दिसम्बर को जयपुर में नागरिकता कानून के विरोध में जो शांति मार्च निकाला उसे भी सफलता के तौर पर देखा जा रहा है। इस मार्च में बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया। कांग्रेस शासित राज्यों में गहलोत पहले मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने नागरिकता कानून के विरोध में शांतिमार्च निकाला। गहलोत इसे भी अपनी उपलब्धि मानते हैं कि इस कानून के विरोध के मद्देनजर राजस्थान में शांति बनी रही है। शांति मार्च की सफलता से उत्साहित गहलोत ने 23 दिसम्बर को दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय की केंटीन में मुख्यालय के कार्मिकों के साथ बैठकर मसाला डोसा खाया। मुख्यालय के कार्मिक भी गहलोत के व्यवहार से बेहद खुश नजर आए। कार्मिकों का भी कहना रहा कि गहलोत अक्सर ऐसा करते हैं। मुख्यमंत्री होने के बावजूद भ्ी आम आदमी की तरह व्यवहार करते हैं। यहां यह उल्लेखनीय है कि गहलोत तीसरी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने हैं। राजघाट पर कांग्रेस के धरने में भी गहलोत आकर्षण का केन्द्र रहे हैं। हालांकि धरने पर कांग्रेस शासित राज्यों के सभी मुख्यमंत्री उपस्थित थे, लेकिन सबसे ज्यादा तवज्जों गहलोत को ही मिली। कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी, महासचिव श्रीमती प्रियंका गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी गहलोत की हौंसला अफजाई की। कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ नेताओं ने भी जयपुर के शांति मार्च की सफलता के लिए गहलोत को बधाई दी। कहा जा सकता है कि राजघाट के धरने के दौरान भी राजनीतिक दृष्टि से गहलोत की छाए रहे।
22 दिसम्बर को जयपुर में संशोधित नागरिकता कानून के विरोध में शांति मार्च निकालने के बाद राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत 23 दिसम्बर को विजेता के रूप में दिल्ली पहुंचे गए। कांग्रेस की ओर से दोपहर तीन बजे दिल्ली में राजघाट पर नागरिकता कानून के विरोध में ही धरना रखा गया। लेकिन इस धरने में भाग लेने के लिए सीएम गहलोत प्रात: 11 बजे ही दिल्ली पहुंच गए। हालांकि 23 दिसम्बर को सीएम गहलोत को कांग्रेस मुख्यालय पर कोई काम नहीं था, लेकिन माना जाता है कि गहलोत को जब भी कोई सफलता मिलती है, तब वे कांग्रेस मुख्यालय की केंटीन में जरूर जाते हैं। गहलोत ने 22 दिसम्बर को जयपुर में नागरिकता कानून के विरोध में जो शांति मार्च निकाला उसे भी सफलता के तौर पर देखा जा रहा है। इस मार्च में बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया। कांग्रेस शासित राज्यों में गहलोत पहले मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने नागरिकता कानून के विरोध में शांतिमार्च निकाला। गहलोत इसे भी अपनी उपलब्धि मानते हैं कि इस कानून के विरोध के मद्देनजर राजस्थान में शांति बनी रही है। शांति मार्च की सफलता से उत्साहित गहलोत ने 23 दिसम्बर को दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय की केंटीन में मुख्यालय के कार्मिकों के साथ बैठकर मसाला डोसा खाया। मुख्यालय के कार्मिक भी गहलोत के व्यवहार से बेहद खुश नजर आए। कार्मिकों का भी कहना रहा कि गहलोत अक्सर ऐसा करते हैं। मुख्यमंत्री होने के बावजूद भ्ी आम आदमी की तरह व्यवहार करते हैं। यहां यह उल्लेखनीय है कि गहलोत तीसरी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने हैं। राजघाट पर कांग्रेस के धरने में भी गहलोत आकर्षण का केन्द्र रहे हैं। हालांकि धरने पर कांग्रेस शासित राज्यों के सभी मुख्यमंत्री उपस्थित थे, लेकिन सबसे ज्यादा तवज्जों गहलोत को ही मिली। कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी, महासचिव श्रीमती प्रियंका गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी गहलोत की हौंसला अफजाई की। कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ नेताओं ने भी जयपुर के शांति मार्च की सफलता के लिए गहलोत को बधाई दी। कहा जा सकता है कि राजघाट के धरने के दौरान भी राजनीतिक दृष्टि से गहलोत की छाए रहे।
एस.पी.मित्तल) (23-12-19)
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