जयपुर में गड़बड़ी की आशंका के मद्देनजर इंटरनेट सेवाएं बंद रहीं।
===========
पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी की तर्ज पर 22 दिसम्बर को राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने भी संशोधित नागरिकता कानून के विरोध में जयपुर की सड़कों पर शांति मार्च निकाला। सीएम के शांति मार्च में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट और मंत्रिमंडल के सभी सदस्य शामिल रहे। मुस्लिम बहुल्य इलाकों के लोगों ने अपने अपने क्षेत्रों से जुलूस निकाल कर शांति मार्च में भागीदारी निभाई, इसलिए सीएम के शांति मार्च में जबर्दस्त भीड़ देखी गई। दोपहर 12 बजे शांति मार्च अल्बर्ट हॉल से शुरू हो हुआ जो जेएलएन मार्ग होता हुआ गांधी सर्किल पर पहुंचा। कोई ढाई किलोमीटर तक सीएम गहलोत भी पैदल चले। शांति मार्च में कोई नारेबाजी नहीं हुई। मुख्यमंत्री का कहना रहा कि नागरिकता कानून संविधान की भावनाओं के खिलाफ है, इसलिए देश भर में गुस्सा है। साथ ही गहलोत का कहना रहा कि लोकतंत्र में हिंसा की कोई गुंजाइश नहीं है। यदि कोई व्यक्ति गड़बड़ी करेगा तो उसके विरुद्ध सख्त कार्यवाही की जाएगी।
ममता की तर्ज पर शांति मार्च:
गहलोत का शांति मार्च पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी की तर्ज पर रहा। ममता ने भी कोलकाता की सड़कों पर लगातार तीन दिन तक शांति मार्च निकाला था। ममता की तर्ज पर ही गहलोत ने अपने शांति मार्च में विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों सिविल सोसायटी के पदाधिकारियों अरुणा राय जैसी सामाजिक कार्यकर्ता आदि को शामिल किया। शांति मार्च को नियंत्रित करने के लिए जयपुर पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी।
नेटबंदी पर सवाल:
शांति मार्च सरकार की ओर से था, लेकिन फिर भी जयपुर में इंटरनेट सेवाओं को बंद रखा। सवाल उठता है कि जब शांति मार्च मुख्यमंत्री की अगवाई में निकल रहा है तो फिर पुलिस को गड़बड़ी की आशंका क्यों हैं? आमतौर पर विरोध प्रदर्शन को देखते हुए इंटरनेट सेवा बंद की जाती है, ताकि असामाजिक तत्व माहौल न बिगाड़े। नागरिकता कानून को लेकर सीएम गहलोत पहले ही कह चुके हैं कि राजस्थान में इस कानून को लागू नहीं किया जाएगा। ऐसे में सवाल उठता है कि फिर राजस्थान में विरोध प्रदर्शन शांति मार्च आदि क्यों हो रहे हैं? केन्द्र सरकार भी स्पष्ट कर चुकी है कि नागरिकता कानून से किसी भी मुसलमान का अहित नहीं होगा। इस कानून के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धर्म के आधार पर प्रताडि़त होकर आए हिन्दू सिक्ख, जैन, बौद्ध, ईसाई और पारसी समुदाय के लेागों को नागरिकता मिलेगी। ऐसे शारणार्थियों को नागरिकता देने के लिए कांग्रेस के नेताओं ने भी समय समय पर मांग की थी।
पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी की तर्ज पर 22 दिसम्बर को राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने भी संशोधित नागरिकता कानून के विरोध में जयपुर की सड़कों पर शांति मार्च निकाला। सीएम के शांति मार्च में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट और मंत्रिमंडल के सभी सदस्य शामिल रहे। मुस्लिम बहुल्य इलाकों के लोगों ने अपने अपने क्षेत्रों से जुलूस निकाल कर शांति मार्च में भागीदारी निभाई, इसलिए सीएम के शांति मार्च में जबर्दस्त भीड़ देखी गई। दोपहर 12 बजे शांति मार्च अल्बर्ट हॉल से शुरू हो हुआ जो जेएलएन मार्ग होता हुआ गांधी सर्किल पर पहुंचा। कोई ढाई किलोमीटर तक सीएम गहलोत भी पैदल चले। शांति मार्च में कोई नारेबाजी नहीं हुई। मुख्यमंत्री का कहना रहा कि नागरिकता कानून संविधान की भावनाओं के खिलाफ है, इसलिए देश भर में गुस्सा है। साथ ही गहलोत का कहना रहा कि लोकतंत्र में हिंसा की कोई गुंजाइश नहीं है। यदि कोई व्यक्ति गड़बड़ी करेगा तो उसके विरुद्ध सख्त कार्यवाही की जाएगी।
ममता की तर्ज पर शांति मार्च:
गहलोत का शांति मार्च पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी की तर्ज पर रहा। ममता ने भी कोलकाता की सड़कों पर लगातार तीन दिन तक शांति मार्च निकाला था। ममता की तर्ज पर ही गहलोत ने अपने शांति मार्च में विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों सिविल सोसायटी के पदाधिकारियों अरुणा राय जैसी सामाजिक कार्यकर्ता आदि को शामिल किया। शांति मार्च को नियंत्रित करने के लिए जयपुर पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी।
नेटबंदी पर सवाल:
शांति मार्च सरकार की ओर से था, लेकिन फिर भी जयपुर में इंटरनेट सेवाओं को बंद रखा। सवाल उठता है कि जब शांति मार्च मुख्यमंत्री की अगवाई में निकल रहा है तो फिर पुलिस को गड़बड़ी की आशंका क्यों हैं? आमतौर पर विरोध प्रदर्शन को देखते हुए इंटरनेट सेवा बंद की जाती है, ताकि असामाजिक तत्व माहौल न बिगाड़े। नागरिकता कानून को लेकर सीएम गहलोत पहले ही कह चुके हैं कि राजस्थान में इस कानून को लागू नहीं किया जाएगा। ऐसे में सवाल उठता है कि फिर राजस्थान में विरोध प्रदर्शन शांति मार्च आदि क्यों हो रहे हैं? केन्द्र सरकार भी स्पष्ट कर चुकी है कि नागरिकता कानून से किसी भी मुसलमान का अहित नहीं होगा। इस कानून के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धर्म के आधार पर प्रताडि़त होकर आए हिन्दू सिक्ख, जैन, बौद्ध, ईसाई और पारसी समुदाय के लेागों को नागरिकता मिलेगी। ऐसे शारणार्थियों को नागरिकता देने के लिए कांग्रेस के नेताओं ने भी समय समय पर मांग की थी।
एस.पी.मित्तल) (22-12-19)
नोट: फोटो मेरी वेबसाइट www.spmittal.in
https://play.google.com/store/apps/details ? id=com.spmittal
www.facebook.com/SPMittalblog
Blog:- spmittalblogspot.in
https://play.google.com/store/
www.facebook.com/SPMittalblog
Blog:- spmittalblogspot.in
वाट्सएप ग्रुप से जोडऩे के लिए-8955240680
M-09829071511 (सिर्फ संवाद के लिए)