मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कथन के उलट एक महिला आरएएस को प्रताडि़त कर रहे हैं कई आईएएस। मंत्री लालचंद कटारिया को भी नहीं सुन रहा सीएमओ। महिला आयोग में भी शिकायत दर्ज करवाई।

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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कथन के उलट एक महिला आरएएस को प्रताडि़त कर रहे हैं कई आईएएस। मंत्री लालचंद कटारिया को भी नहीं सुन रहा सीएमओ। महिला आयोग में भी शिकायत दर्ज करवाई। ===========================================
8 दिसंबर को जयपुर में हुए राजस्थान जाट समाज संस्था के सम्मान समारोह में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि जाट समाज के सहयोग की वजह से ही मैं राजस्थान का तीसरी बार मुख्यमंत्री बना हूं। जाट समाज के सहयोग को मैं कभी नहीं भूला सकता। गहलोत ने जब अपनी राजनीतिक उपलब्धि के लिए जाट समाज को श्रेय दिया तो समारोह में उपस्थित जाट समुदाय के लोगों ने जमकर तालियां बजाई। तालियों की आवाज के बीच गहलोत ने कहा कि जाट समाज की समस्याओं के समाधान और विकास के लिए मैं हमेशा तैयार हूं। मुख्यमंत्री गहलोत भले ही अपनी सफलता का श्रेय जाट समुदाय को दें, लेकिन गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में इसी समुदाय की एक महिला आरएएस अंजना सहरावत को सरकार के कई आईएएस प्रताडि़त कर रहे हैं। प्रताडऩा भी ऐसी कि उनसे उनके स्त्री रोग से जुड़ी जानकारी मांगी जा रही हैं। अंजना इस समय झालावाड़ के मनोहरथाना की उपखंड अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। गत 26 जुलाई को अंजना की तबियत अचानक खराब हो गई। मनोहरथाना में प्राथमिक ईलाज के बाद भी जब स्वास्थ्य बिगड़ता गया तो अंजना ने ईमेल के जरिए जिला कलेक्टर सिद्धार्थ सिहाग को मुख्यालय छोडऩे की सूचना दी। 27 व 28 जुलाई का अवकाश था इसलिए जयपुर आकर ईलाज करवाया। चूंकि स्वास्थ्य खराब होने का कारण स्त्री रोग था इसलिए डाक्टरों ने पूर्ण आराम की सलाह दी। लेकिन इसके बावजूद भी कलेक्टर ने सीसीए रूल्स के नियम 17 के अंतर्गत आरोप पत्र प्रस्तावित कर कार्मिक विभाग को भिजवा दिया। इतना ही नहीं संभागीय आयुक्त के समक्ष भी गलत तथ्य प्रस्तुत किए। बीमारी को लेकर कोई संदेह न हो, इसलिए अंजना ने जयपुर में एसएमएम अस्पताल में मेडिकल बोर्ड से भी अपना स्वास्थ्य परीक्षण करवाया। बोर्ड की रिपोर्ट की जानकारी भी कलेक्टर को भिजवा दी, लेकिन कलेक्टर ने इस जांच रिपोर्ट को मानने से इंकार कर दिया। कलेक्टर ने अपने स्तर पर एमएमएस अस्पताल के अधीक्षक को निर्देंश देकर अंजना सहरावत के स्वास्थ्य की जांच मेडिकल बोर्ड से दोबारा से करवाई। बोर्ड की दूसरी रिपोर्ट में भी माना गया कि स्त्री रोग की वजह से 8 दिन का पूर्ण विश्राम चाहिए। सवाल उठता है कि अंजना ने अपने स्तर पर जो स्वास्थ्य जांच सरकारी अस्पताल में करवाई, उस पर भरोसा क्यों नहीं किया गया? जाहिर है कि दोबारा मेडिकल बोर्ड का गठन करवाकर अंजना को प्रताडि़त किया गया। अंजना के स्त्री रोग की रिपोर्ट को भी बार-बार सार्वजनिक किया जाना प्रताडऩा ही माना जाएगा। सवाल यह भी है कि मेडिकल बोर्ड ने दो बार अंजना को गंभीर रोगी माना तो अब कलेक्टर ने जो 17 सीसीए की कार्यवाही की है उसका क्या होगा? क्या यह कार्यवाही जल्दबाजी में नहीं की गई। एक ओर मुख्यमंत्री गहलोत कहते हैं कि मैं जाट समुदाय की वजह से ही तीसरी बार मुख्यमंत्री बना हूं और दूसरी ओर गहलोत सरकार का एक आईएएस अफसर इसी समुदाय की महिला आरएएस की बात पर भरोसा नहीं करता है। क्या एक महिला अधिकारी को अपने स्त्री रोग का ईलाज करवाने का अधिकार भी नहीं है। ऐसे मौकों पर आमतौर पर मानवीय दृष्टिकोण अपनाया जाता है। यदि कोई संवेदनशील और व्यवहार कुशल कलेक्टर होता तो एसएमएस अस्पताल में फोन कर महिला अधिकारी की मदद करवाता, लेकिन अंजना के मामले में एकदम उलट हुआ। अंजना के साथ में ऐसा पहली बार नहीं हो रहा। इससे पहले भी अंजना जब अजमेर में अजमेर विकास प्राधिकरण में भूमि अवाप्ति अधिकारी के पद पर कार्यरत थीं, तब भी प्राधिकरण के तत्कालीन आयुक्त नमित मेहता ने परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। पात्र होने के बाद भी प्राधिकरण का मकान अंजना को आवंटित नहीं किया। अंजना के चार माह बाद आवेदन करने वाले अधिकारी को प्राधिकरण का मकान नियमों के विरूद्व आवंटित कर दिया। अंजना को राज्य सरकार के निर्देंशों के तहत प्राधिकरण की महिला उत्पीडऩ निवारण समिति का अध्यक्ष बनाया गया था, लेकिन आयुक्त मेहता ने अपने अधिकारों से परे जाकर कनिष्ठ कार्मिक को समिति का अध्यक्ष बना दिया। सरकार के नियमों के तहत अवकाश लेने के बावजूद आयुक्त मेहता ने अद्र्ध-शासकीय पत्र लिखकर अंजना को प्रताडि़त किया। अलवर के पारिवारिक न्यायालय में चल रहे मुकदमे में उपस्थिति के लिए आयुक्त  मेहता ने अवकाश तभी स्वीकृत किया जब न्यायालय के आदेश की प्रमाणित प्रति प्राधिकरण में प्रस्तुत की। इतना ही नहीं प्राधिकरण के योजना क्षेत्र बीके कौल नगर में स्ट्रिप ऑफ लैंड के प्रकरण में कार्मिक विभाग को शिकायत कर निलम्बित करवा दिया। प्राधिकरण के आयुक्त के पद से तबादला हो जाने के बाद भी जैसलमेर कलेक्टर की हैसियत से जयपुर के मुख्य नगर नियोजक तक को दुर्भावनावश पत्र लिखा। हालांकि सरकार के निलंबन आदेश पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी। लेकिन इस प्रकरण में अंजना के विरूद्व चार बार जांच करवाई गई। जब मुख्य नगर नियोजक तक की जांच में कोई दोष नहीं निकला तो प्रताडि़त करने वाली आईएएस लॉबी ने राजस्थान लोक सेवा आयोग के सचिव के पद पर रहे आईएएस से जांच करवाकर गलत तथ्यों पर दोषी ठहरा दिया। 
महिला आयोग में शिकायत : 
आईएएस की प्रताडऩाओं से परेशान अंजना सहरावत ने राज्य महिला आयोग को भी शिकायत दी है। इस शिकायत पर आयोग भी संज्ञान ले रहा है। इस बीच केन्द्र सरकार के कार्मिक विभाग ने राजस्थान के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर अंजना के प्रकरण की निष्पक्ष जांच करवाने के लिए कहा है। 
सीएमओ में भी सुनवाई नहीं :
प्रदेश के कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने एक पत्र लिखकर मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि अंजना सहरावत को झालावाड़ के मनोहरथाना से हटाकर जयपुर शहर में नियुक्त कर दिया जाए। कटारिया ने यह पत्र 15 सितम्बर को लिखा था, लेकिन तीन माह होने पर भी कटारिया के पत्र पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है। असल में सीएमओ में तैनात आईएएस भी अंजना को कोई राहत नहीं देना चाहते हैं। एक ओर अंजना अपने स्त्री रोग को लेकर परेशान है तो दूसरी ओर आईएएस अधिकारी प्रताडि़त करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। किसी को भी एक महिला अधिकारी की पीड़ा का अहसास नहीं है। 
आरएएस एसोसिएशन का समर्थन : 
अंजना सहरावत को राजस्थान प्रशासनिक सेवा परिषद का भी समर्थन प्राप्त है। आईएएस पवन अरोड़ा ने सेवा परिषद के अध्यक्ष के पद पर रहते हुए सहरावत के समर्थन में राज्य के मुख्य सचिव डीबी गुप्ता को पत्र भी लिखा था। उल्लेखनीय है कि पवन अरोड़ा स्वायत्त शासन विभाग के निदेशक भी रह चुके हैं। 
एस.पी.मित्तल) (09-12-19)
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