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वसुंधरा राजे ने पदमावती फिल्म के प्रदर्शन पर सरकारी रोक लगाई थी। ऐसी रोक मौजूदा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत फिल्म पानीपत पर क्यों नहीं लगाते? जाट समुदाय की भावनाओं को समझे राजस्थान की कांग्रेस सरकार।
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मुंबईया हिन्दी फिल्म पानीपत में महाराजा सूरजमल की जो छवि प्रस्तुत की गई है उससे राजस्थान ही नहीं देशभर के जाट समुदाय में रोष है। राजस्थान में सिनेमाघरों पर तोड़-फोड़, प्रदर्शन हो रहे हैं। जाट समुदाय को समाज के हर वर्ग का समर्थन मिल रहा है। राजस्थान में कांग्रेस सरकार के जाट मंत्री और विधायक भी फिल्म से नाराज है। यह फिल्म 8 दिसंबर को रिलीज हो चुकी है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कहना है कि फिल्म के डिस्ट्रीब्यूटर्स को जाट समुदाय के प्रतिनिधियों से संवाद करना चाहिए। यानि मुख्यमंत्री गहलोत अपनी सरकार का दायित्व डिस्ट्रीब्यूटर्स और जाट समुदाय पर डाल रहे हैं। सवाल उठता है कि पदमावती फिल्म के प्रदर्शन पर जिस तरह तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने राजस्थान में सरकारी रोक लगाई थी, वैसी रोक अशोक गहलोत क्यों नहीं लगाते? पदमावती फिल्म भी सेंसर बोर्ड से स्वीकृत थी, लेकिन अपने प्रदेश में कानून व्यवस्था का हवाला देकर वसुंधरा राजे ने फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगा दी। सरकारी रोक लगने के बाद कोई भी डिस्ट्रीब्यूटर्स सिनेमाघरों में फिल्म का प्रदर्शन नहीं कर सकता। गहलोत चाहे तो ऐसी रोक पानीपत फिल्म पर भी लगा सकते हैं। वसुंधरा राजे के समय तो केन्द्र में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार थी, जबकि मौजूदा समय में प्रदेश में गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार है। जब भाजपा की मुख्यमंत्री राजपूत समाज की भावनाओं का ख्याल करते हुए पदमावती पर रोक लगा सकती हैं तो फिर कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत फिल्म पानीपत पर रोक क्यों नहीं लगाते। आखिर क्यों फिल्म के प्रदर्शन को डिस्ट्रीब्यूटर्स और जाट समुदाय पर छोड़ा जा रहा है। पदमावती फिल्म के समय आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाने वाले करणी सेना के संस्थापक लोकेन्द्र सिंह कालवी का कहना है कि भले ही किसी फिल्म को भारत सरकार के सेंसर बोर्ड से प्रमाण पत्र मिल गया हो, लेकिन राज्य सरकार चाहे तो अपने प्रदेश में प्रदर्शन पर रोक लगा सकती हैं। इस अधिकार का इस्तेमाल करते हुए ही पदमावती फिल्म पर 11 राज्य सरकारों ने रोक लगाई थी। इसके लिए उन्होंने स्वयं मुख्यमंत्रियों से संवाद किया था। जब फिल्म पानीपत को जाट समुदाय की भावनाओं के विपरीत माना जा रहा है तो फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगनी ही चाहिए। जिस प्रकार रानी पदमावती राजस्थान के इतिहास से जुड़ी थी, उसी प्रकार महाराज सूरजमल भी राजस्थान से जुड़े थे। ऐसे में दोनों फिल्मों के प्रदर्शन का राजस्थान पर ज्यादा असर है। राजस्थान में कानून व्यवस्था बताए रखने की जिम्मेदारी गहलोत सरकार की ही है। वैसे पानीपत फिल्म का विवाद किसी एक समाज का नहीं है। यह सर्वसमाज की भावना का सवाल है।
एस.पी.मित्तल) (10-12-19)
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<no title>वसुंधरा राजे ने पदमावती फिल्म के प्रदर्शन पर सरकारी रोक लगाई थी। ऐसी रोक मौजूदा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत फिल्म पानीपत पर क्यों नहीं लगाते? जाट समुदाय की भावनाओं को समझे राजस्थान की कांग्रेस सरकार।