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राज्यसभा से भी मंजूर हो जाएगा नागरिकता संशोधन बिल। लेफ्ट के प्रभाव वाले पूर्वोत्तर राज्यों के कुछ क्षेत्रों को छोड़कर देश भर में शांति। हिन्दू, सिख, ईसाई, बौद्ध हिन्दुस्ताान में नहीं रहेंगे तो कहां रहेंगे? विरोध करने वाले बताएं।
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नागरिकता संशोधन बिल को 11 दिसंबर को राज्यसभा में प्रस्तुत किया जाएगा। बिल पर बहस के लिए छह घंटे का समय निर्धारित किया गया है। माना जा रहा है कि बहस के बाद यह बिल राज्यसभा में भी मंजूर हो जाएगा। बिल के समर्थन में भाजपा के शिवसेना, एआईडीएमके जैसी पार्टियां है इसलिए 122 मतों का जुगाड़ हो जाएगा। कांगे्रेस और उसके सहयोगी दलों के पास 104 मतों का ही जुगाड़ बताया जा रहा है। 9 दिसंबर की रात लोकसभा में भी यह बिल भारी मतों से मंजूर हो गया। बिल के विरोध में 80, जबकि पक्ष में 311 मत प्राप्त हुए। बिल के विरोध में 10 दिसंबर को पूर्वात्तर राज्यों के कुछ इलाकों में विरोध प्रदर्शन हुआ। ये इलाके वामदलों के प्रभाव वाले माने जाते हैं। हालांकि असम में भाजपा की सरकार है, लेकिन फिर भी कुछ क्षेत्रों में प्रदर्शन हुए है। देश के उत्तर और दक्षिण में किसी भी राज्य में विरोध नहीं देखा गया। यह स्थिति बताती है कि आमतौर पर बिल को लेकर बड़ा विरोध नहीं है। विरोध करने वाले नेता भी न्यूज चैनलों तक सीमित है। वामपंथी विचारधारा के लोग बिल का क्यों विरोध कर रहे हैं, यह पूरा देश जानता है। नागरिकता संशोधन बिल से मौजूद नागरिकों की स्थिति पर कोई असर नहीं पड़ेगा। जिन बांग्लादेशी और पाकिस्तान के घुसपैठियों ने अवैध दस्तावेज के आधार पर मतदाता पहचान पत्र, पेन कार्ड, राशन कार्ड, आधार कार्ड तक बनवा लिए हैं, उन्हें भी भारत का नागरिक ही माना जाएगा। इस बिल में ऐसे लोगों की जांच का कोई प्रावधान नहीं है। यह बिल उन हिन्दू, सिख, ईसाई, बौद्ध आदि के लिए मायने रखता है जो पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धर्म के आधार पर प्रताडि़त होकर भारत में रह रहे हैं। इस संशोधन के बाद ऐसे शरणार्थियों को भारत की नागरिकता मिल जाएगी। सवाल उठता है कि हिन्दू, सिख, ईसाई, बौद्ध भारत में नहीं रहेंगे तो कहां रहेंगे? जब 1947 में धर्म के आधार पर देश का विभाजन हुआ तो हिन्दू, सिख, ईसाई, बौद्ध आदि को भारत में ही रहने का अधिकार है। पूर्वात्तर राज्यों के कुछ लोगों को लगता है कि बांग्लादेश से आए हिन्दुओं को नागरिकता देने से उनके अधिकार प्रभावित होंगे? इस संबंध में केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह पहले ही स्पष्ट कह चुके है कि पूर्वोत्तर राज्यों के लोगों पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा। बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से धर्म के आधार पर प्रताडि़त होकर आए हिन्दुओं को भारत की नागरिकता देने पर किसी को भी एतराज नहीं होना चाहिए। जहां तक इस बिल में मुसलमानों का उल्लेख नहीं करने का मामला है तो पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान तीनों मुस्लिम राष्ट्र है और यहां धर्म के आधार पर किसी भी मुसलमान को परेशान नहीं किया जाता। विरोध करने वालों को इस अंतर को समझना होगा। भारत में 25 करोड़ मुसलमान सुकून के साथ रहते हुए तरक्की कर रहे हैं। किसी भी मुसलमान की नागरिकता पर सवाल नहीं उठाया जा रहा है।
एस.पी.मित्तल) (10-12-19)
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राज्यसभा से भी मंजूर हो जाएगा नागरिकता संशोधन बिल। लेफ्ट के प्रभाव वाले पूर्वोत्तर राज्यों के कुछ क्षेत्रों को छोड़कर देश भर में शांति। हिन्दू, सिख, ईसाई, बौद्ध हिन्दुस्ताान में नहीं रहेंगे तो कहां रहेंगे? विरोध करने वाले बताएं।