राष्ट्रपति, सीजेआई, सुप्रीम कोर्ट के 6 जजों तथा केन्द्रीय विधि मंत्री के सामने राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने रिटायर सीजेआई रंजन गोगई की भूमिका पर सवाल उठाए। पर किसी ने भी गहलोत के सवालों पर टिप्पणी नहीं की।  हाईकोर्ट जजों की नियुक्ति में उस वकील का भी ख्याल रखा जाए, जिसका रिश्तेदार वकालत में नहीं है-रविशंकर प्रसाद।

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राष्ट्रपति, सीजेआई, सुप्रीम कोर्ट के 6 जजों तथा केन्द्रीय विधि मंत्री के सामने राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने रिटायर सीजेआई रंजन गोगई की भूमिका पर सवाल उठाए। पर किसी ने भी गहलोत के सवालों पर टिप्पणी नहीं की। 
हाईकोर्ट जजों की नियुक्ति में उस वकील का भी ख्याल रखा जाए, जिसका रिश्तेदार वकालत में नहीं है-रविशंकर प्रसाद। 
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7 दिसंबर को जोधपुर में राजस्थान हाईकोर्ट के नए भवन का उद्घाटन हुआ। उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, भारत के प्रधान न्यायाधीश एम.ए. बोबडे, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश सर्वश्री अरूण मिश्रा, जस्टिस रमन्ना, नवीन सिन्हा, अजय रस्तोगी, दिनेश माहेश्वरी व जस्टिस रविन्द्र एस. भट्ट, राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र, केन्द्रीय विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद, राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत महांति आदि उपस्थित रहे। समारोह में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने न्यायिक व्यवस्था को लेकर अनेक सवाल उठाए। गहलोत ने कहा कि देश के इतिहास में पहला अवसर रहा, जब सुप्रीम कोर्ट के चार न्यायाधीशों ने देश में लोकतंत्र को खतरा बताते हुए प्रेस कान्फें्रस की। इन चार न्यायाधीशों में रंजन गोगई भी शामिल थे। बाद में जस्टिस गोगई सीजेआई बन गए। मेरे आज तक यह समझ में नहीं आया कि जस्टिस गोगई पहले सही थे या सीजेआई बनने के बाद। गहलोत ने कहा कि देश के लोकतंत्र को तो आज भी खतरा बना हुआ है। संवैधानिक संस्थानों का दुरूपयोग हो रहा है। न्यायाधीश भी सब जानते हैं। आज हमारा लोकतंत्र ज्युडिशियरी पर निर्भर हो गया है। गहलोत ने राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे पर भी सवाल उठाए। गहलोत ने कहा कि राजनीतिक चंदे की वजह से भ्रष्टाचार पनपता है। इलेक्टोरल बांड तो एक साजिश है, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट को अपने विवेक से संज्ञान लेना चाहिए। चंदे का मतलब ही ब्लैकमनी है। गहलोत ने हाईकोर्ट की बैंच के विखंडन को लेकर जोधपुर के वकीलों की हड़ताल पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा हम वकीलों की एकता को सलाम करते है, लेकिन कई बार बिना कारण ही वकील हड़ताल पर चले जाते हैं। गहलोत ने कहा कि आज मैंने सही मौके पर अपनी बात कही है। हाईकोर्ट के जिस भवन का आज उद्घाटन हो रहा है उसके लिए मेरी ही सरकार ने 110 करोड़ रुपए दिए है। हालांकि उद्घाटन समारोह राजनीति से दूर था, लेकिन गहलोत ने अपना पूरा भाषण कांग्रेस के नेता के तौर पर ही दिया। गहलोत के सवालों पर राष्ट्रपति, सीजेआई आदि ने अपने सम्बोधन में कोई टिप्पणी नहीं की। यहां यह उल्लेखनीय है कि इस समारोह में उपस्थित सीजेआई बोबडे एवं अन्य 7 जजों में से कोई भी उक्त प्रेस कान्फ्रेंस में सम्मिलित नहीं था।
गहलोत पहले भी जता चुके है नाराजगी :
रंजन गोगई को लेकर गहलोत पहले भी नाराजगी जता चुके हैं। रफाल विमान सौदे में जब जस्टिस गोगई ने केन्द्र सरकार को क्लीन चिट दी तो गहलोत का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट चाहता तो सीबीआई या अन्य किसी एजंसी से जांच के निर्देंश दे सकता था। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि जस्टिस गोगई ने ही सीजेआई के पद से रिटायरमेंट से पहले अयोध्या प्रकरण में फैसला दिया था। 
ऐसे वकीलों का भी रखें ख्याल :
समारोह में केन्द्रीय विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति कॉलेजियम के माध्यम से होती है, लेकिन हमें उन वकीलों का भी ख्याल रखना चाहिए, जिनके कोई रिश्तेदार वकालात में नहीं है। ऐसे वकीलों ने तिनका तिनका जोड़कर अपने बूते पर प्रतिष्ठा अर्जित की है। असल में यह माना जाता है कि हाईकोर्ट के जिस वकील की न्यायिक पृष्ठभूमि होती है वही जज बनता है। कई बार हाईकोर्ट जजों की नियुक्ति में परिवारवाद भी देखा गया है। यानि जिन वकीलों के पिता, दादा या अन्य रिश्तेदार हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के जज होते हैं, उनका ही नाम कॉलेजियम तक पहुंचता है। हालांकि यह बात रविशंकर प्रसाद ने खुले तौर नहीं कही, लेकिन उनका इशारा इसी तरफ था। 
एस.पी.मित्तल) (07-12-19)
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