तो क्या महाराष्ट्र में शिवसेना का स्थान राज ठाकरे की पार्टी ले लेगी?
कांग्रेस और एनसीपी की मदद से उद्धव ठाकरे बने हैं मुख्यमंत्री।
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23 जनवरी को मुम्बई में शिवसेना के संस्थापक बाला साहब ठाकरे की जयंती पर अनेक कार्यक्रम हुए। एक कार्यक्रम महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के प्रमुख राज ठाकरे की ओर से भी किया गया। राज ठाकरे बाला साहब के भतीजे हैं, लेकिन बाला साहब की राजनीतिक विरासत उनके पुत्र उद्धव ठाकरे को ही मिली। अब चूंकि उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस और एनसीपी की मदद से मुख्यमंत्री का पद हासिल कर लिया है, इसलिए माना रहा है कि शिवसेना अपने उद्देश्य से भटक गई है। ऐसे में माहौल में बाला साहब की जयंती पर राज ठाकरे ने अपनी पार्टी के समारोह के मंच पर बाला साहब ठाकरे के साथ साथ वीर सावरकर की प्रतिमा भी रखी। इतना ही नहीं राज ठाकरे ने अपनी पार्टी का झंडा भी भगवा घोषित कर दिया। महाराष्ट्र की राजनीति को समझने वालों का मानना है कि अब राज ठाकरे शिवसेना का स्थान लेने का प्रयास कर रहे हैं। मुख्यमंत्री बनने के बाद उद्धव ठाकरे को शिवसेना और बाला साहब ठाकरे के विचारों को पीछे रखना पड़ा है। इसी का फायदा राज ठाकरे उठाना चाहते हैं। उनका प्रयास है कि शिवसेना के बदल जाने से राजनीति में जो स्थान खाली हुआ है उस पर कब्जा कर लिया जाए। यही वजह रही कि बाला साहब की जयंती पर एमएनएस के कार्यकर्ताओं के हाथ में भगवा रंग के झंडे थे। यह भी पहला मौका रहा जब एमएनएस ने समारोह में मंच पर वीर सावरकर की प्रतिमा रखी गई। पिछले दिनों कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने वीर सावरकर को लेकर प्रतिकूल टिप्पणी की थी, तब महाराष्ट्र की जनता ने नाराजगी जताई थी। शिवसेना ने भी राहुल गांधी को संभल कर बोलने की हिदायत दी थी। उद्धव ठाकरे जिस पर दो कदम पीछे हट कर मुख्यमंत्री बने हुए है उसे देखते हुए फिलहाल महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार पर कोई खतरा नहीं है, लेकिन शिवसेना की इस राजनीतिक कमजोरी का फायदा ही राज ठाकरे उठाना चाहते हैं।
23 जनवरी को मुम्बई में शिवसेना के संस्थापक बाला साहब ठाकरे की जयंती पर अनेक कार्यक्रम हुए। एक कार्यक्रम महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के प्रमुख राज ठाकरे की ओर से भी किया गया। राज ठाकरे बाला साहब के भतीजे हैं, लेकिन बाला साहब की राजनीतिक विरासत उनके पुत्र उद्धव ठाकरे को ही मिली। अब चूंकि उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस और एनसीपी की मदद से मुख्यमंत्री का पद हासिल कर लिया है, इसलिए माना रहा है कि शिवसेना अपने उद्देश्य से भटक गई है। ऐसे में माहौल में बाला साहब की जयंती पर राज ठाकरे ने अपनी पार्टी के समारोह के मंच पर बाला साहब ठाकरे के साथ साथ वीर सावरकर की प्रतिमा भी रखी। इतना ही नहीं राज ठाकरे ने अपनी पार्टी का झंडा भी भगवा घोषित कर दिया। महाराष्ट्र की राजनीति को समझने वालों का मानना है कि अब राज ठाकरे शिवसेना का स्थान लेने का प्रयास कर रहे हैं। मुख्यमंत्री बनने के बाद उद्धव ठाकरे को शिवसेना और बाला साहब ठाकरे के विचारों को पीछे रखना पड़ा है। इसी का फायदा राज ठाकरे उठाना चाहते हैं। उनका प्रयास है कि शिवसेना के बदल जाने से राजनीति में जो स्थान खाली हुआ है उस पर कब्जा कर लिया जाए। यही वजह रही कि बाला साहब की जयंती पर एमएनएस के कार्यकर्ताओं के हाथ में भगवा रंग के झंडे थे। यह भी पहला मौका रहा जब एमएनएस ने समारोह में मंच पर वीर सावरकर की प्रतिमा रखी गई। पिछले दिनों कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने वीर सावरकर को लेकर प्रतिकूल टिप्पणी की थी, तब महाराष्ट्र की जनता ने नाराजगी जताई थी। शिवसेना ने भी राहुल गांधी को संभल कर बोलने की हिदायत दी थी। उद्धव ठाकरे जिस पर दो कदम पीछे हट कर मुख्यमंत्री बने हुए है उसे देखते हुए फिलहाल महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार पर कोई खतरा नहीं है, लेकिन शिवसेना की इस राजनीतिक कमजोरी का फायदा ही राज ठाकरे उठाना चाहते हैं।
एस.पी.मित्तल) (23-01-2020)
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